मेरे भारत में अब सिर्फ कौरव बसते
पांडव और कृष्ण कहाँ
चहूँ और अब शकुनी का तांडव
अर्जुन का गांडीव कहाँ
होलिका के गोदी में बैठी भारत माता
पुकारे मेरा प्रहलाद कहाँ

लोकतंत्र कों हर लिया राजनीती के रावण ने
जन सेवक सब बने मारीच यहाँ
जयचंदों और जाफर ने जकड़ा मेरा भारत
ढूँढे मेरा पृथ्वीराज कहाँ
ज़फर अब परदेशों में दफनाए जाते
भारत में दो गज़ ज़मीन कहाँ
जेलों में अब जमघट नेता और दलालों का
सरफरोशी के गीत भगत अब गाये कहाँ
विनोद.....
पांडव और कृष्ण कहाँ
चहूँ और अब शकुनी का तांडव
अर्जुन का गांडीव कहाँ
होलिका के गोदी में बैठी भारत माता
पुकारे मेरा प्रहलाद कहाँ

लोकतंत्र कों हर लिया राजनीती के रावण ने
जन सेवक सब बने मारीच यहाँ
जयचंदों और जाफर ने जकड़ा मेरा भारत
ढूँढे मेरा पृथ्वीराज कहाँ
ज़फर अब परदेशों में दफनाए जाते
भारत में दो गज़ ज़मीन कहाँ
जेलों में अब जमघट नेता और दलालों का
सरफरोशी के गीत भगत अब गाये कहाँ
विनोद.....
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें