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रविवार, 17 जुलाई 2011

सरफरोशी के गीत अब गाये कहाँ

मेरे भारत में अब सिर्फ कौरव बसते
पांडव और कृष्ण कहाँ

चहूँ और अब शकुनी का तांडव
अर्जुन का गांडीव कहाँ

होलिका के गोदी में बैठी भारत माता
पुकारे मेरा प्रहलाद कहाँ


लोकतंत्र कों हर लिया राजनीती के रावण ने
जन सेवक सब बने मारीच यहाँ

जयचंदों और जाफर ने जकड़ा मेरा भारत
ढूँढे मेरा पृथ्वीराज कहाँ

ज़फर अब परदेशों में दफनाए जाते
भारत में दो गज़ ज़मीन कहाँ

जेलों में अब जमघट नेता और दलालों का
सरफरोशी के गीत भगत अब गाये कहाँ

विनोद.....

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