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रविवार, 10 जुलाई 2011

खाप पंचायत

"खाप पंचायत" यह नाम अब तक सभी सुन चुके होंगे। पिछले कुछ दिनों से यह काफी चर्चा में है। इनके द्वारा जारी किये गए अनोखे फ़रमान जिन्हें लोगों ने तुगलकी फ़रमान की संज्ञा दी है ... मुझे प्रेरित किया कि कुछ लिखूँ



खाप पंचायत से छुपने का
कहीं कोई ठौर ठिकाना तो होगा

सुलगती धरती से हट ,कहीं
आँचल सा कोमल साया तो होगा

सर्द खामोश नज़ारे, मगर
गुनगुनाता स्वपन तो होगा

इस जहां से उस जहां में
कहीं कुछ फर्क तो होगा

कर लूँ श्रृंगार उस की चाहत का
चाँद की आँखों सा दर्पण तो होगा

ठिठुरते बर्फीले अँधेरे सही
किरणों में कुछ कंपन तो होगा

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उफ़ ! चाँद की नियति, बेचारा
सौरमंडल की खाप में उलझा होगा

रातों में लुक छुप छत पर
दिन उगने तक प्रेम रचाता होगा

उस जहां की खाप के गंडासे से कट
अमावस कों दफनाया जाता होगा

रुढ़ियों की चादर के कफ़न में ढक
हर चाँद फतवों की कब्र में सोया होगा


विनोद.....

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