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मंगलवार, 19 जुलाई 2011

निबंध


“आँखों देखे मेले का हाल”
स्कूल में आठवीं क्लास में
मास्टर जी अक्सर यह निबंध
लिखवाया करते थे
एक कल्पना कों
लिखना होता था
शब्दों में
दो पन्नों में

आज बरसों बाद
वैसी ही कल्पना
तेरे और मेरे संबंधों
तेरे और मेरे बीच के
खोखले होते रिश्तों पर
फिर एक निबंध लिखना है

मेले और रिश्तों में
तेरे मेरे रिश्तों में
काफी समानताएँ हैं
पल दो पल
मिलना जुलना
दुआ सलाम
और फिर अपने अपने
खिलोनों से
ख्यालों से
रास्ते भर गुफ्तगू

विनोद.....

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