यह विजेट अपने ब्लॉग पर लगाएँ

मंगलवार, 26 जनवरी 2016

“तेरे बगैर”



शाम-ए-सुकून ग़ुज़र गयी
आज फिर तेरे बगैर
धड़कना सीख लिया दिल ने
आज फिर तेरे  बगैर

चिरागो के जलने का वक़्त आ गया
उदास तूफ़ान थमने का वक़्त आ गया
नसों मे लहू जमने का वक़्त आ गया 
आज फिर तेरे बगैर 

दिल को समझाया काफ़ी देर तलक
लबों ने मुस्कराया काफ़ी देर तलक 
आईने से की गुफ्तगू काफ़ी देर तलक 
आज फिर तेरे बगैर 

 मासूम खवाईशों को सम्भहाल के रक्खा 
महरूम रिवायतो को संभाल के रक्खा 
मज़लूम हसरतों को संभाल के रक्खा 
आज फिर तेरे बगैर 

उम्मीदों का सफ़र और लफ़्ज़ों की गर्मी 
सर्द फ़िज़ाओं मे, सुलगते अहसास, की गर्मी 
ज़ायका गमो का, लज़्ज़त विसाल की गर्मी 
आज फिर तेरे बगैर 

शब-ए-अज़ाब गुज़र गयी 
आज फिर तेरे बगैर 
सिमटना सीख लिया दिल ने 
आज फिर तेरे बगैर