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रविवार, 22 जनवरी 2012

संघर्ष.......!!

तुम समुन्दर का किनारा हो
मैं एक प्यासी लहर की तरेह हूँ 
तुम्हें चूमने के लिए उठता हूँ 
 तुम चट्टान की तरेह हो 
वैसी ही खड़ी रहती हो 
मैं हर बार तुम्हें बस छू कर लौट जाता हूँ ...!!

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