अहसास
परिहास
मधुमास
बिखरा हुआ इधर उधर
छिपा छिपा दिल के आस पास
स्पर्श
शब्द :: नि:शब्द अनुभूति
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माँ

आँचल में लिपटा
गोदी में सिमटा
ममता भरा वो चुम्बन
स्पंदन वो अहसास
पवन के मद्धम मद्धम झोंके सी
खींचती वो पालने की डौरी
सहला कर माथे कों
कानों में रस घोलती वो लोरी
उँगलियों से वो आँख में काजल लगना
स्पर्श
नि:शब्द अनुभूति
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मेरी बहना

वो लड़ना वो झगड़ना
बात बात पर रुलाना
शिकायत, वो डांट पड़ने पर
कनखियों से मुस्कुराना,वो चिढाना
दूज पर वो सजना, सवरना
चिडिया सा वो चेह्कना
आँगन में बिखरी वो सूरज की किरन
थाली में दिया , रोली, चावल, वो चन्दन
स्नेह भाव से वो पुरखों का गीत गाना
नाज़ुक सी उँगलियों से लगाना
रोली चंदन का टीका
वो चावल सजाना
परिहास वो स्पन्दन
स्पर्श
नि:शब्द अनुभूति
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और तुम
सांझ ढलने का खुमार
किवाड़ की सांकल बजने का इंतज़ार
दिल का धडकना
वो रूठना, वो मनाना
बंद होंठों से गुनगुनाना
वो गजरे की महक
वो साँसों की कसक
चूडियों की खनखन
पायल की छनछन
आँखों में हलाहल
जैसे शाएर की ग़ज़ल
मेहँदी रचे हाथों का वो
स्पर्श
नि:शब्द अनुभूति
विनोद.....
bahut sunder abhiviyakti..vinod jee..
जवाब देंहटाएंspacilly vo bahana da tikka ... ki kuch lines....really nice
Thanks Rajani Ji
हटाएंbahut ji accha likha hai aapne...
जवाब देंहटाएंni sabd ....kuch anubhooti ni shabd hi rahti hain....